Dim of vision in one or both eye without any reason and it couldn’t correct as normal with glasses, contact lens or Laser treatment is called Amblyopia. Although eyes are appear normal. It’s also called Lazy Eye. When brain ignore signal from blurry eye and it could harm vision permanently and other eye become dominant. Later it developes squint due to lake of coordination between two eyes and weakness of eye muscles.
आँखों का बाहर से पूर्णतः स्वस्थ दिखने के बावजूद बिना किसी कारण के एक या दोनों आँख का पूर्ण क्षमता तक नहीं देख पाना एम्ब्लियोपिया या सुस्त (लेज़ी आई) कहलाती है | यह स्थिति आँख के पूरी तरह विकसित नही होने या किसी बिमारी के कारण जन्मजात या बाद में भी हो सकती है | इसमें वस्तु का चित्र रेटिना पर ठीक से नही बनता, जिससे दोनों आँखों में समन्वय की कमी होती है | दिमाग एक आँख के संकेत ठीक से नही समझ पाता या अनदेखा करने लगता है | यह सुस्तता दिन प्रतिदिन बढ़ती जाती है तथा आगे जाकर आँखे तिरछी होना शुरू हो जाती है | इसमें चश्मे, कांटेक्ट लेंस या किसी लेज़र ट्रीटमेंट से भी नज़र को पूर्णतया नहीं सुधारा जा सकता है तब वह स्थिति एम्ब्लियोपिया कहलाती है | बच्चों को धुंधला दिखना, डबल दिखना, सिर टेढ़ा करके देखना, पास जाकर देखना, दूरी का सही से अनुमान ना कर पाना, आँखे तिरछी कर लेना, सर दर्द आदि लक्षण सुस्त आँखों के हो सकते है | समय पर जाँच करवाकर ध्यान दिया जावे तो मेहनत करके कमजोर आँख को भी सामान्य जैसा किया जाना सम्भव है | यदि बच्चा 8 साल या उससे छोटा है तो ईलाज में सफलता का प्रतिशत अच्छा ही रहता है | उम्र बढ़ने के साथ ज्यादा मेहनत व कम रिजल्ट मिलता है | इसलिए जरुरी है कि हर साल बच्चों के आँखों की जाँच करवावे, ताकि समय पर निदान करके लेज़ी आई को टेढ़ा होने से बचाया जा सकें |
1. Myopia
2. Hyper Metropia
3. Astigmatism
4. Congenital Cataract/ Glaucoma
5. Squint (Strabismus)
6. Ptosis
7. Initial Retinitis Pigmentosa
8. Weakness of Ocular Muscles
9. Trauma or any surgical complication
1. Eye appears not to work together
2. Abnormal movement of eye (Crossed Eye)
3. Poor depth perception
4. Head Tilting
5. Double Vision
6. Blurring Vision
7. Headache
8. Eye Pain
1. Periodically Visual Assesment or Visual Aqurity Test in Young Child
2. Cycloplegic Retinoscopy
3. Fundus Examination
Oral Medicines, Glasses, Contact Lens, Eye Drops, Vision Therapy, Patches(Occulodur Therapy) Excercise, (Surgical Treatment of Congenital Cataract & Glaucoma if required).
आयुर्वेद के अनुसार सुस्त आँख वात दोष विकार के कारण होती है | वात विकार के कारण नेत्र धातु या तो अधिक या कम विकसित होने से दृष्टि पटल पर फोकस नही बन पाता है जिससे आँख कम देखकर सुस्त हो जाती है | दवाइयाँ, कसरत, नेत्र क्रियाकल्पों द्वारा दोषों को बैलेंस कर धातुओं को पोषण देकर सुस्त आँख को सामान्य के करीब लाया जा सकता है | मैंने नेत्र विज्ञान के अपने 15 सालो के अनुभव में यह विडम्बना देखि है कि आधुनिक नेत्रतज्ञ उन केसेस पर ध्यान देते है जिनमे ऑपरेशन की संभावना होती है या कम मेहनत पर ज्यादा पैसा कमाया जा सकें | मैने लगभग 50 से से अधिक नेत्रतज्ञो के काम को करीब से देखा | दो लाख मरीज, 95 हजार रिफ्रेक्शन, 15 हजार से ज्यादा ऑपरेशन का गवाह होने के बावजुद यहीं निष्कर्ष निकला की अधिकतर नेत्रतज्ञो को या तो समय नही या वो ऐसे केस लेना नही चाहते जिनमे ज्यादा मेहनत लगती है | या सीधे ऑपरेशन वाले केसेस पर ही ध्यान देते है, जब भी एम्ब्लायोपिक या मेहनत का केस आया उसे बड़े सेन्टर पर बड़े शहर में जाने का बोल दिया जाता है | या तो मरीज धनाभाव में जाता नही या जाये तो कितनी बार बड़े शहरों का चक्कर लगावे| यही कारण होता है कि अधिकतर एम्ब्लायोपिक बच्चों को आगे जाकर भेंगापन निश्चित हो जाता है | हमें जरूरत है इन नौनिहालों के प्रति मेहनत करने की ताकि देश की यह आने वाली पीढ़ी को नेत्र रोगों से मुक्त करा सकें | सभी अभिभावकों से भी यही निवेदन है, कि बच्चा आँख से सम्बंधित कोई शिकायत करे तो उस पर ध्यान दे आपका भो रोल इस बिमारी में किसी चिकित्सक से कम नही है | एम्ब्लायोपिया ना ठीक होने वाली बिमारी नही है जरुरत है तो थोड़ी ज्यादा मेहनत की | बच्चों की आँखे हर साल जरुर चेक करावें |
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